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I Love to Travel (Khush Hone Ko) by Rahgir | Song of Gratitude | Shubhodeep Roy | Lateeb Khan 1 год назад


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I Love to Travel (Khush Hone Ko) by Rahgir | Song of Gratitude | Shubhodeep Roy | Lateeb Khan

We have a lot to be grateful for. Listen to this fun song by Rahgir. Please share with people you love. Singer, Lyrics : Rahgir Music : @shubhodeeproy Morchang, Khartal and Bhapang : @lateeb_khan_music Stream the song : Spotify : Amazon Music : Itunes : Hungama : Get your copy of my book : Kaisa Kutta Hai : https://amzn.eu/d/iHEOdR9 Aahil : https://amzn.eu/d/0Tsi7pD Lyrics : आप खड़े हो चौराहे पर, होके पसीने से तर बतर, बस का किराया है 100 रुपए पर जेब में तुम्हारी हैं पचहतर उसमें से 5 की चाई पीकर तुम 30 रुपयों का चल पड़ो पैदल और जो मिले उसको कहो ओ भाई आई लव टू ट्रैवल एक बार की बात है - धूप में चलता मैं, खुद को ही खलता मैं, थक हार कर कहीं से निकलता मैं, क्या बताऊँ मेरे यार बहुत, लाचार बहुत था भार बहुत मेरे कंधे पे, (मेरे कंधे पे) दे दे के मौक़े मैंने खाए बड़े धोखे, अब सब कुछ खो के नहीं रहा भरोसा किसी बंदे पे। (किसी बंदे पे) थक हार कर,झक मार कर बैठ गया एक बूढ़े से बरगद के छाँव तले, फिर याद हो आए सब बचपन के झूले, वो दिन सारे भूले और मुस्कुराकर चढ़ गया उसकी डाल पे फिर भी रहा मैं उसके पाँव तले, हाँ पाँव तले वहीं सामने डाल पे बाँहें डाल के बरगद की खाल पे चिपकी हुई थी एक नन्ही सी, छोटी सी, प्यारी सी एक गिलहरी , उसके पूँछ के वालों पे पड़ रही थी पत्तों से छनकर, और भी ठनकर इतर इतर कर छितर छित्तर कर धूप सुनहरी, मैं डाल पे लेट गया और देखा पत्तों के बीच से बादल बन के पागल मुझको देख रहे थे भैया, और देख रहे थे इधर उधर से कोयल कौव्वे, खातीचिड़ा, बुलबुल कमेड़ी और गोरेय्या, और लगा मुझे के इतना कुछ तो है खुश होने को। अरे इतना कुछ तो है खुश होने को। अभी सही सलामत पाँव हैं, घाव हैं भरते अभी भी, चाव हैं करते बूढ़े बुज़रुग मेरे अभी भी तन पे जकड़े हैं, पूरे कपड़े हैं, लफड़े हैं जितने भी मुझसे बड़े तो नहीं हैं। अभी भी कभी कभी ही सही मिलता है दूध दही, पेट आधा भरा ही सही भूखे पड़े तो नहीं हैं। अभी कुत्ते आवारा, समझ के इशारा, पास आ जाते हैं पूँछ हिलाते हैं आँखों में झांक के पास बैठ जाते हैं, फेरता हूँ सिर पे हाथ मैं करता हूँ बात मैं कैसे हालात में, मैं हूँ जान जाते हैं, अभी रुँधा है गला, लेता हूँ गा, ख़ुशी का नहीं तो कोई गीत ग़मभरा और बहल जाता हूँ, अभी छोड़ के सारे ताम झाम, मैं देख के कोई शाम ढलती, जल्दी, दफ़्तर से निकल कर मैं तो टहल आता हूँ। देखता हूँ आसमान का रंग नारंगी, बेढंगी है दुनिया जितनी भी, लगती है फिर भी मस्त मलंगी और सोचता हूँ मैं, के इतना कुछ तो है खुश होने को। इतना कुछ तो है अभी खोने को। इतना कुछ तो है अभी होने को। rahgir, rahgirlive, I Love to travel, Travel song by Rahgir,

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