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हनुमान जी की 8 शक्तियाँ जिसकी वजह से वो आज तक ज़िंदा है। Divine Powers of Lord Hanuman #hanumanpowers #ramayan #8powersofhanuman हनुमान जी की 8 गुप्त शक्तियां, जिनके बारे में कम लोग जानते हैं वैसे तो हनुमान जी के अन्दर अद्भुत शक्तियां थीं लेकिन उनकी आठ ऐसी शक्तियां थी, जो उन्हें ख़ास, रहस्यमयी और विजेता बनाती थी। ये आठ शक्तियां सभी योद्धाओं में नहीं पाई जाती है। इन्हीं आठ शक्तियों की मदद से हनुमान जी अपने भक्तों के लिए एक शक्तिशाली देवता बन गए। हम सभी हनुमान जी को वीर, बलवान और शक्तिशाली देवता के रूप में जानते हैं, लेकिन इसके बावजूद कई लोग उनकी कुछ गूढ़, रहस्यमयी और अद्भुत शक्तियों के बारे में नहीं जानते। ये शक्तियाँ उन्हें न केवल चमत्कारिक बनाती हैं, बल्कि किसी भी योद्धा से जीत जाने की क्षमता देती थी। तभी तो हनुमान जी रावण को भी हारने की क्षमता रखते थे। तो, चलिए जानते हैं हनुमान जी की 8 दुर्लभ और कम-ज्ञात शक्तियाँ, जिन्हें जानकर कोई भी भक्त प्रेरित हो जाएगा... हनुमान जी की 8 अद्भुत शक्तियाँ जो आप नहीं जानते 1. अणिमा शक्ति (सूक्ष्म रूप धारण करना) हनुमान जी अपनी देह को इतना छोटा कर सकते थे कि किसी सुई की नोक पर भी समा जाएं। लंका में प्रवेश के समय उन्होंने यही शक्ति का उपयोग किया। इस शक्ति का इस्तेमाल कर हनुमान जी ने कई बार दुश्मनों को मात दी है। 2. महिमा शक्ति (विशाल रूप धारण करना) हनुमान जी अपना आकार जितना छोटा कर सकते थे, उसे वो उतना विशाल भी कर सकते थे। इस शक्ति का इस्तेमाल कर वो अपनी आकृति को ब्रह्मांड जितना बड़ा कर सकते हैं। रामकथा में समुद्र पार करते समय उनका “महावीर रूप” इसका प्रमाण है। 3. गरिमा: अविश्वसनीय रूप से भारी बनने की शक्ति गरिमा के साथ हनुमान अपना वजन कई गुना बढ़ा सकते थे। यह शक्ति उनकी दृढ़ता और अपने कर्तव्य के प्रति अडिग प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 4. लघिमा: भारहीन होने की शक्ति हनुमान जी जिस तरह खुद को भारी कर लेते थे, ठीक वैसे ही वो खुद को पंख की तरह हल्का भी कर सकते थे। इसी शक्ति का इस्तेमाल कर वो गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ आसमान में उड़ सकते थे। उन्होंने इसका प्रयोग लंका तक उड़कर जाना, एक पूरा पर्वत उठाकर ले जाने जैसी घटनाओं के लिए किया, जिसमें उनकी असीम शक्ति और भक्ति का प्रदर्शन भी हुआ। 5. चिरंजीवित्व (अमरता) हनुमान जी को वरदान मिला है कि वे युगों-युगों तक जीवित रहेंगे। जब तक श्रीराम का नाम इस संसार में है, वे इस धरती पर विद्यमान रहेंगे। 6. गर्वित आत्मसंयम (अजेय मानसिक बल) उनका आत्मबल इतना प्रचंड था कि उन्हें किसी भय या मोह का कोई प्रभाव नहीं होता था। हनुमान जी को कोई डर, शंका या भ्रम नहीं था। लंका में रावण के समक्ष निर्भय होकर खड़े होना इसका प्रमाण है। यह शक्ति उन्हें ध्यान और तप से प्राप्त हुई थी। 7. वायुगति (परम गति से चलने की शक्ति) और दिव्य मंत्र सिद्धि (मंत्रबल से चमत्कारिक कार्य करना) हनुमान जी को विशेष दिव्य मंत्रों की सिद्धि प्राप्त थी, जिससे वे अदृश्य हो सकते थे, उड़ सकते थे और असाधारण कार्य कर सकते थे। हनुमान जी अपने पिता पवन देव के समान इतनी तीव्र गति से चल सकते हैं कि कोई पकड़ नहीं सकता। इसी कारण उन्हें “मारुतिनंदन” कहा जाता है। 8. वशित्व और ईशित्व: वश में करने और नियंत्रण करने की शक्ति वशित्व वह शक्ति है जो हनुमान जी को दूसरों को नियंत्रित करने की अनुमति देती थी। ईशित्व हनुमान जी को प्रकृति और सृष्टि की सभी शक्तियों को नियंत्रित करने और आदेश देने का अधिकार देता था।