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Battle Of Khandak Full Story || जंगें ख़ंदक का पूरा वाक़िया || jange khandak || 3rd Battle Of Islam ओहद की जंग जीतने के बाद अबू सुफियान ने कहा की अब तो हम इन मुसलमानों को छोड़ेंगे नहीं तो उसने पूरे अरब से दस हज़ार लोगों की फौज तैयार करना शुरू कर दी और मैं आपको बता दु की उस वक़्त पूरे मदीना की कुल आबादी दस हज़ार से कम थी बड़े बच्चे औरतें बूढ़े सब मिला के भी दस हज़ार की टोटल आबादी नहीं थी काफिरों की इस तैयारी का जब नबी पाक ﷺ को पता चला उन्होंने सहाबा इक्राम को बुलाया जिसमें सबको पता था की लड़ाई तो ना मुमकिन है कुछ और ही करना पड़ेगा वही पे हज़रत सलमान फारसी भी बैठे हुए थे उन्होंने एडवाइस दिया की देखो मदीना वैसे भी तीनों तरफ से पहाड़ों की वजह से सेफ है हमें सिर्फ एक तरफ़ ही ज़्यादा ध्यान देना होगा और जिधर हमें ज़्यादा ध्यान होगा वो मदीना की northern side, है और मदीना के अंदर जो यहूदी है तो वो तो हमारे दोस्त हैं हमें उनसे कोई मसला नहीं तो अगर हम सिर्फ इस एक साइड पर एक खंदक बना ले तो तब हो सकता है की हमारे पास लड़ाई का कोई चांस हो ये राय सभी को पसंद आयी और अब ख़ंदक का काम शुरू हो गया हर दस सहाबियों को 120 फुट जगह खोदने के लिए दिया गया और काम इनको ऐसी हालात में करना था की भूख की वजह से पेट पर पत्थर बांधे हुए थे इन टोटल मुसलमान ने बहुत ही कम वक़्त में मदीना की नॉर्दर्न साइड पे छह किलोमीटर तक ख़ंदक खोद दिया ख़ंदक खोदने के दौरान एक बहुत बड़ा पत्थर बहुत कोशिश के बाद भी टूट ही नहीं रहा तो सहाबा ने नबी पाक ﷺ को कहा की यह तो टूट ही नहीं रहा है नबी पाक ने एक कुल्हाड़ी उठाई और उस पत्थर पर जोर से कुल्हाड़ी मारी तो वो पत्थर छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर गया वहां खड़े सारे सहाबी भी हैरान हो गए क्योंकि उन्होंने अपने सामने एक मोजजा देखा जब मक्का वालों की फौज पहुंची तो हैरत में आ गयी की ये क्या है ये तो हमने सोचा ही नहीं था दोनों फौजें सामने आईं और बस दूर से एक दूसरे को देखने लगी मुसलमान बैठे हुए थे कोई टेंशन ही नहीं अगर कोई उनके फौज के सामने आता तो मुसलमान उसको तीरों से मार देते काफी दिन तक यही सब चलते रहा और आखिर काफिरों के एक ग्रुप को गुस्सा आया और उन्होंने किसी तरीके से उस ख़ंदक को पार करके अंदर घुस गए और इस ग्रुप में अबू जहेल का वही बेटा इक्रमा था लेकिन हजरत अली ने जाके उनके लीडर को मार दिया और वो सारे वापस भाग गए ऐसा लग रहा था की मक्का वाले जंग हार रहे हैं लेकिन यहां अबू सुफियान ने एक बहुत जबरदस्त दिमाग़ लगाया की मदीना के अंदर तो हम नहीं घुस सकते लेकिन मदीना के अंदर जो यहूदी है वो मुसलमानो को पसंद नहीं करते उनको अगर हम किसी तरह कन्वेंस करें और वो मुसलमानों के घरों में उनकी औरतें और बच्चों पर हमला करें तो मुसलमानों को जरूर पीछे हटना पड़ेगा और हम इन पर हमला कर देंगे और यहूदियों ने हां कर दी और सारे मोहायदे जो मुसलमानों के साथ किये थे तोड़ दिये मुसलमान ओहद की तरह दो फ़ौजों के दरमियां में फिर फस गए और यहूदियों ने आहिस्ता आहिस्ता मदीना के अंदर सहाबा के घरों में घुसना शुरू किया मुसलमान इस टेंशन में पड गए की अब वह अपने घरों में अपने औरतों और बच्चों को बचाएँ या मक्का वालों की फौज से इधर लड़े ये बहुत ही मुश्किल वक़्त था मुसलमानो के लिए यहां तक की नबी पाक ने कहा की अब मदीना वालों के घरों को बचाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है की हम काफिरों के एक ग्रुप से बात चीत करें की हम इनको हर साल मदीना के खेतों में जो खुजूर होती है उनका तिहाई हिस्सा इनको देंगे लेकिन सहाबा ने कहा की अगर ये अल्लाह की तरफ से है तो बिल्कुल बातचीत करते हैं लेकिन अगर आप हमारे बच्चों को बचाने के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी दे रहे हैं तो ऐसा ना करें हम आखरी सांस तक लड़ेंगे इतने मुश्किल वक़्त में भी मुसलमान बिल्कुल हौसला नहीं हार रहे थे अब दूसरे दिन काफिरों की फ़ौज से एक आदमीं सामने आता है और कहता है मुझे मोहम्मद से मिलना है वो आदमीं नबी पाक के पास आकर कहता है की मैंने इस्लाम क़ुबूल कर लिया है लेकिन ये बात किसी को नहीं पता है बताइए मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ नबी पाक ने कहा जो भी तुम कर सकते हो करो हम बहुत मुश्किल में हैं इस वक़्त उसने कहा ठीक है वो आदमी सीधा गया यहूदियों के पास और उन्हें कहा की मक्का वाले बहुत बड़े धोखेबाज लोग हैं उनका साथ कभी नहीं देना अगर उन्हें ऐसा लगा की वो ये जंग हार रहें है तो वो तुम्हें यही छोड़कर वापस चले जाएंगे और फिर मुसलमान तुम्हें नहीं छोड़ेंगे इसके बाद वो सीधा मक्का के काफिरों के पास गया और अबू सुफियान से कहा की यहूदियों ने कभी किसी से वफा की है यहूदी और मुसलमान सारे मिले हुए हैं अगले दिन मक्का वालों ने यहूदियों से कहा की हम हमला कर रहे हैं तुम लोग भी हमला करो मुसलमानों को हमेशा के लिए ख़त्म कर दो यहूदियों ने कहा बिल्कुल हमला करेंगे लेकिन पहले आप हमारे पास अपने कुछ लोग भेजो लेकिन मक्का वालों ने यहूदियों की बात नहीं मानी यहूदियों को जब पता चला की उन्होंने कोई भी आदमी नहीं भेजा तो उन्होंने भी कहा की ये हमारे साथ धोखा कर रहे हैं और इस तरह यहूदियों और मक्का वालों का ये इत्तिहाद टूट गया और मुसलमान दोबारा लड़ने के लिए तैयार हो गए क्योंकि अब उनका दुश्मन सिर्फ उनके सामने खड़ा था और मदीना के अंदर से सारे खतरे खत्म हो गए 1 महीने तक मदीना के बाहर सिर्फ खड़े रहने से मक्का वालों का हौसला बिल्कुल ख़त्म हो चुका था एक दिन एक बहुत तेज तूफ़ान आया जो की मक्का के काफिरों का सब कुछ उखाड़ कर रख दिया और वो सारे भाग कर वापस मक्का चले गये #battle #battlefield #islamichistoricalplaces