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भारत के इतिहास का सबसे बड़ा जासूसी कांड — कुमार नारायण जासूसी कांड (Coomar Narain Spy Scandal), जिसने 1985 में भारतीय राजनीति को हिला कर रख दिया। जानिए कैसे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक इसकी जड़ें फैली थीं, क्यों पीसी अलेक्ज़ेंडर को इस्तीफा देना पड़ा, और कैसे भारत की रक्षा से जुड़ी गुप्त जानकारियाँ विदेशी एजेंसियों तक पहुँचीं। रेहान फ़ज़ल की विवेचना के आधार पर प्रस्तुत है इस ऐतिहासिक जासूसी केस की अनकही कहानी। अगर आप भारत के जासूसी इतिहास (Indian Espionage History), राजनीतिक घोटाले (Political Scandals) और 1985 के सबसे बड़े विवादों के बारे में जानना चाहते हैं, तो ये वीडियो आपके लिए है! जरूर देखें और चैनल को सब्सक्राइब करें। Related Topics: • #CoomarNarainSpyScandal • #1985SpyScandalIndia • #IndianPoliticalScandal1985 • #RajivGandhiSpyScandal • #भारतीयजासूसीइतिहास • #कुमारनारायणजासूसीकांड सन 1985 का जनवरी महीना भारतीय राजनीति के लिए काफ़ी उथलपुथल वाला था. प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रधान सचिव पी सी एलेक्ज़ेडर ने इस्तीफ़ा दे दिया था. भारत के कहने पर फ़्रांस ने दिल्ली से अपना राजदूत वापस बुला लिया था. चेकोस्लवाकिया, पोलैंड और पूर्वी जर्मनी के दिल्ली दूतावास से कई राजनयिकों को निष्कासित किया गया था. इस सबके पीछे एक जासूसी स्कैंडल था जिसके तार भारत सरकार के केंद्र बिंदु प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े हुए थे. रेहान फ़ज़ल के साथ विवेचना में आज, 80 के दशक में हुए कुमार नारायण जासूसी स्कैंडल की अनकही कहानी 1985 में “कुमार नारायण जासूसी कांड” (Coomar Narain Spy Scandal) भारतीय राजनीति और खुफिया एजेंसियों के लिए एक बहुत बड़ा झटका था। असल में: • कुमार नारायण (Coomar Narain) एक पूर्व सरकारी कर्मचारी थे, जो विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से जुड़े कामों में रहे थे। • उन्होंने एक बहुत बड़ा जासूसी नेटवर्क तैयार किया था, जिसमें सरकारी कर्मचारियों, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों और यहां तक कि पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) के भीतर के लोगों को भी शामिल किया गया था। • ये नेटवर्क भारत के रक्षा और विदेश नीति से जुड़े गोपनीय दस्तावेज विदेशी खुफिया एजेंसियों — खासकर फ्रांस, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया और पूर्वी जर्मनी — को बेचता था। • जांच में पता चला कि कई संवेदनशील दस्तावेज़, जिनमें रक्षा खरीद, रणनीतिक योजना, और विदेश नीति निर्णय शामिल थे, विदेशी हाथों तक पहुँच चुके थे। पी सी एलेक्ज़ेंडर का इस्तीफा इस वजह से हुआ क्योंकि मामला सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुँच गया था, और राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेनी पड़ी। विदेशी राजनयिकों को निष्कासित करने का फैसला भारत सरकार ने इस नेटवर्क में उनकी संलिप्तता को देखते हुए लिया था। Coomar Narain खुद बहुत चालाकी से वर्षों तक इस नेटवर्क को चला रहे थे, जब तक कि रॉ (RAW) और आईबी (IB) की संयुक्त जांच में उनकी पोल नहीं खुली। ये भारतीय इतिहास के सबसे बड़े जासूसी कांडों में से एक माना जाता है। अगर आप चाहो, तो मैं इस स्कैंडल की और भी डीटेल में कहानी, जैसे • किस तरह पकड़े गए, • इसमें और कौन-कौन लोग शामिल थे, • क्या सजा हुई, • और इसका भारतीय राजनीति पर क्या असर पड़ा Coomar Narain an ex employee of foreign ministry created the biggest espionage network of India's history and sold country's defense top class secrets to intelligence agencies around the world. #CoomarNarain #SpyScandal #IndianPolitics #1985Scandal #RajivGandhi #IndianEspionage #PMOfficeScandal #PoliticalControversy #IndianHistory #EspionageCase #भारतकीजासूसीकहानी #कुमारनारायणकांड #भारतीयराजनीतिकांड #1985जासूसी #राजीवगांधी #पीएमओकांड #जासूसीकांडभारत #विदेशीएजेंसियां #इतिहासकीसबसेबड़ीजासूसी #भारतीयजासूसीघोटाला #कुमारनारायणजासूसीकांड #1985जासूसीकांड #भारतीयराजनीतिघोटाले #राजीवगांधीजासूसीकेस #प्रधानमंत्रीकार्यालयजासूसी #पीसीअलेक्ज़ेंडरइस्तीफ़ा #भारतीयजासूसीइतिहास #भारतकासबसेबड़ाजासूसीकांड #विदेशीएजेंसियोंकोजासूसी #रेहानफ़ज़लविवेचना #CoomarNarainSpyScandal #1985SpyScandal #IndianPoliticalScandal #RajivGandhiSpyCase #PMOfficeEspionage #PCAlexanderResignation #IndianEspionageHistory #IndiasBiggestSpyScandal #EspionageWithForeignAgencies #RehanFazalVivechana