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हिंदी-उर्दू साहित्य जगत के वरिष्ठ नाम, स्व निदा फ़ाज़ली जी का जादू। Nida Fazli old Kavi Sammelan 2007 #KV #NidaFazli #KumarVishwas सीधा साधा डाकिया, जादू करे महान एक ही थैले में भरे, आँसू और मुस्कान बच्चा बोला देख कर, मस्जिद आलीशान अल्ला तेरे एक को, इतना बड़ा मकान अन्दर मूरत पर चढ़े घी, पूरी, मिष्टान मंदिर के बाहर खड़ा, ईश्वर माँगे दान ईसा, अल्लाह, ईश्वर, सारे मंतर सीख जाने कब किस नाम से मिले ज्यादा भीख नक्शा लेकर हाथ में बच्चा है हैरान कैसे दीमक खा गई उसका हिन्दोस्तान मुझ जैसा इक आदमी, मेरा ही हमनाम उल्टा–सीधा वो चले, मुझे करे बदनाम जब यार देखा नैन भर दिल की गई चिंता उतर ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाए कर। मंदिर भी था उसका पता, मस्जिद भी थी उसकी ख़बर घूमे इधर घूमे उधर खोला नहीं अपना ही घर कल रात कुछ ऐसा हुआ, अब क्या कहे कैसा हुआ मेरा बदन बिस्तर पर था मैं चल रहा था चाह पर हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ? रहें आजाद या जग में, हमन दुनिया से यारी क्या ? ये दिल कुटिया है संतों की यहाँ राजा भिकारी क्या वो हर दीदार में ज़रदार है गोटा किनारी क्या ये काटे से नहीं कटते ये बांटे से नहीं बंटते नदी के पानियों के सामने आरी कटारी क्या किसी घर के किसी बुझते हुए चूल्हे में ढूँढ उसको जो चोटी और दाढ़ी में रहे वो दीनदारी क्या हमारा मीर जी से मुत्तफ़िक़ होना है नामुमकिन उठाना है जो पत्थर इश्क़ का तो हल्का-भारी क्या वो ख़ुश-लिबास भी ख़ुश-दिल भी ख़ुश-अदा भी है मगर वो एक है क्यूँ उस से ये गिला भी है हमेशा मंदिर-ओ-मस्जिद में वो नहीं रहता सुना है बच्चों में छुप कर वो खेलता भी है अपना गम लेके कहीं और न जाया जाए घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए गोटे वाली लाल ओढ़नी उस पर चोली-घागरा उसी से मैचिंग करने वाला छोटा सा इक नागरा छोटी सी! ये शॉपिंग थी या! कोई जादू-टोना लम्बा चौड़ा शहर अचानक बन कर एक खिलौना दाढ़ी पगड़ी ऊँट छोड़ के इतिहासों का जाल तोड़ के "अ" से अम्माँ ''बे'' से बाबा बैठा बाज रहा था पाँच साल की बच्ची बन कर जयपुर नाच रहा था Subscribe the Channel for more update Follow us on :- YouTube :- / kavisammelanlive Facebook :- / kavisammelanlive Twitter :- / kavisammelan