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Op Sindoor, Indian defence industry, 1971 Indo-Pak war, Murmu's reference to SC | ShekharSeSawalEp12 2 дня назад


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Op Sindoor, Indian defence industry, 1971 Indo-Pak war, Murmu's reference to SC | ShekharSeSawalEp12

ऑपरेशन सिंदूर का भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के लिए क्या मायने है? जनरल असीम मुनीर अब क्या सोच रहे होंगे? क्या 1971 के युद्ध और इस ऑपरेशन सिंदूर के बीच तुलना करना जायज़ है? दिप्रिंट के शो #ShekharSeSawaal में दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता दे रहे हैं आपके सवालों का जवाब अपूर्वा मंधानी के साथ. Timestamps 1:22 - हर कोई कह रहा है कि आप सिंदूर पाकिस्तान के लिए सबक का काम करेगा, यह कैसा सबक है? 5:42 - बालाकोट के बाद, शेखर जी ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान पर नियंत्रण रखने के लिए हमें उन्हें निर्णायक रूप से हराने की क्षमता होनी चाहिए. बालाकोट के बाद ऐसा नहीं हुआ. क्या आपको लगता है कि अब हमारे पास वह बढ़त है? 8:45 - मैं जानना चाहता हूं कि कूटनीति और सैन्य नज़रिए से, क्या भारत ने इस बार कोई पत्तों को बार-बार खेला है. 13:01 - ऑपरेशन सिंदूर का भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के लिए क्या मायने है? 14:48 - पिछले हफ्ते की सभी संघर्ष गतिविधियों से, क्या आपको लगता है कि घरेलू हथियारों पर भरोसा करना फायदेमंद रहा है और क्या आपको लगता है कि इससे हमारे घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा? 18:55 - वैश्विक नेताओं, विशेष रूप से G7 के नेता, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए लगातार आह्वान क्यों कर रहे हैं, जैसे कि दोनों पक्ष समान रूप से जिम्मेदार हैं? 21:02 - आपको क्या लगता है, जनरल असीम मुनीर अब क्या सोच रहे होंगे? 25:30 - क्या आपको लगता है कि 1971 के युद्ध और इस ऑपरेशन सिंदूर के बीच तुलना करना उचित है? 27:03 - बीते हफ्ते यालदा हकीम ने भारतीय चैनलों को दिए इंटरव्यू में ये कहा कि भारत के अधिकारियों से कोई भी सूचना पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. उन्होंने यूक्रेन का उदाहरण दिया कि कैसे वह अपना नैरेटिव सामने रखकर सारे विश्व में अपने लिए सहायता जुटा पाया. भारत क्यों ऐसे नहीं कर पाता है. हमारे देश में शशि थरूर , मनीष तिवारी जैसे सुवक्ता मौजूद हैं , क्यों हम उनका सदुपयोग नहीं करते? 29:27 - बलूचिस्तान में वर्तमान में क्या हो रहा है और इस पर भारत का रुख क्या है? 30:25 - भारत कश्मीर मामले में तीसरी पार्टी की दखलअंदाज़ी क्यों नहीं चाहता? 32:11- हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा भेजे गए बिलों पर तीन महीने के भीतर फैसला करना होगा. क्या ऐसे न्यायिक निर्देश संभावित रूप से संवैधानिक संकट का कारण बन सकते हैं? --------------------------------------------------------------------------------------------- Exclusive content, special privileges & more – Subscribe to ThePrint for Special benefits: https://theprint.in/subscribe/ --------------------------------------------------------------------------------------------- Connect with ThePrint » Subscribe to ThePrint: https://theprint.in/subscribe/ » Subscribe to our YouTube Channel: https://bit.ly/3nCMpht » Like us on Facebook:   / theprintindia   » Tweet us on Twitter:   / theprintindia   » Follow us on Instagram:   / theprintindia   » Find us on LinkedIn :   / theprint   » Subscribe to ThePrint on Telegram: https://t.me/ThePrintIndia » Find us on Spotify: https://spoti.fi/2NMVlnB » Find us on Apple Podcasts: https://apple.co/3pEOta8

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