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जय गंगा मैया कथा | गंगा भक्त बना अंधकासुर (भाग -1) 2 года назад


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जय गंगा मैया कथा | गंगा भक्त बना अंधकासुर (भाग -1)

   • बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुम...   बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...   Watch the Short story ''Ganga bhakt bana andhakaasur'' now! Watch all the Ramanand Sagar's Jai Ganga Maiya full episodes here - http://bit.ly/JaiGangaMaiya Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak महादेव से वरदान पा अंधकासुर बहुत खुश हो जाता है। माता उमा महादेव से पूछती हैं की आपने अंधकासुर को अमोघ शक्ति दे कर उसे बहुत ताकतवर बना दिया है और। अब वह उसका इस्तेमाल करके देवी गंगा के विरुद्ध ना करे इसलिए आप अपने दिए वरदान को क्षीण कर दीजिए। महादेव उन्हें मना कर देते हैं की ऐसा करना अन्याय होगा। उमा कहती हैं की यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो मैं गंगा की रक्षा किया बिना नहीं रह सकती। महादेव उमा को गंगा की रक्षा करने के लिए कहते हैं। अंधकासुर अपना वरदान प्राप्त करके अपने गुरु शुक्राचार्य के पास जाता है। शुक्राचार्य अंधकासुर को अपनी शक्तियों से उसे कवच प्रदान करते हैं जिसे इंद्र देव का वज्र भी नहीं तोड़ पाएगा। माता उमा गंगा मैया के पास पहुँच जाती हैं। अंधकासुर अपने गुरु से आज्ञा लेकर स्वर्ग पर हमला करने के लिए चल पड़ता है। गंगा मैया की रक्षा करने के लिए माता उमा उनके पास आती है और दानवों को देख क्रोधित हो जाती हैं। अंधकासुर के स्वर्ग पर आक्रमण करने की बात सुन देवता असुरों से युद्ध करने के लिए निकल पड़ते हैं। देवता और असुर आमने-सामने आ जाते हैं और युद्ध शुरू हो जाता है। इंद्र देव असुरों पर हमला करता है तो उस जवाब देने के लिए अंधकासुर विशाल रूप ले लेता है। उसे रोकने के लिए इंद्र देव अपना वज्र इस्तेमाल करता है लेकिन अंधकासुर का वज्र कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया तो देवता वहाँ से भाग जाते हैं। अंधकासुर देवताओं को परास्त कर देता है।अंधकासुर अपनी विजय का समाचार अपने गुरु शुक्राचार्य को बताता है। अंधकासुर अपने साथ गंगा मैया को पाताल लोक में ले जाने की बात कहता है। अंधकासुर से हारने के बाद सभी देवता जब भाग रहे थे तो उन्हें नारद मुनि जी मिलते हैं और नारद मुनि जी उन्हें बताते हैं की आपको गंगा मैया की शरण में जाना चाहिए। सभी देवता गंगा मैया के पास जाते हैं और उनसे अपनी रक्षा करने को कहते हैं तो गंगा मैया और माता उमा उनकी रक्षा करने की प्रार्थना को स्वीकार कर लेती हैं। गंगा मैया को अपने पास लाने के लिए अंधकासुर अपने मिशासुर असुर को भेजता है वह वहाँ आकर माता उमा और गंगा मैया को देख कर उन्हें अपने साथ चलने के लिए कहता हैं जैसे ही वह गंगा को पकड़ने के लिए जल में उतरता है तो माता उमा उसे अपनी शक्ति से घायल कर अंधकासुर के पास फेंक देती हैं। अंधकासुर के गिरने से स्वर्ग हिल जाता है अंधकासुर उस भूचाल को महसूस कर बाहर देखने आता है तो अपने मिशासुर को घायल पड़ा देख हैरान हो जाता है। अंधकासुर उससे पूछता है की यह सब किसने किया तो वह मार जाता है। मिशासुर की मृत्यु के बाद देव गुरु बृहस्पति शुक्राचार्य को फिर से समझाने आते हैं की अंधकासुर को स्वर्ग को छोड़कर पाताल लोक आने के लिए कह दे। शुक्राचार्य बृहस्पति की बात से संतुष्ट नहीं होता और अंधकासुर को गंगा को पाताल लोक में लने के लिए नहीं रोकता। अंधकासुर के सामने शिर्शासुर और कबंध नाम के राक्षस आते हैं जो गंगा को बंदी बना कर अंधकासुर के सामने लने के जाते है। शिर्शासुर और कबंध गंगा मैया और माता उमा के सामने आ जाता है और उन्हें बल से अंधकासुर के पास ले जाने की कोशिश करते है तो गंगा मैया उन्हें समझाने की कोशिश करती है लेकिन वो नहीं मानते तो माता उमा उनसे अपनी शक्तियों से रोकने लगती हैं गंगा मैया को बंदी बनाने आए राक्षस शिर्शासुर और कबंध को मारने के लिए माता उमा अपने दिव्य रूप से मारने के लिए भेजती हैं। शिर्शासुर का धड़ और सिर जब तक अलग अलग थे उन्हें मारना असम्भव था। जैसे ही माता उमा उन दोनों को जोड़कर मारने की बात करती हैं तो शिर्शासुर वहाँ से भाग कर अंधकासुर के पास आ जाता है और उसे सब कुछ बताता है। अंधकासुर उसकी बात सुन स्वयं देवी उमा के पास जाता है। अंधकासुर को आता देख माता उमा उन्हें मारने की ठान लेती हैं गंगा मैया माता उमा को उन्हें एक मौक़ा देने के लिए कहती हैं, माता उमा गंगा को बताती हैं की अंधकासुर को मारना ही होगा क्योंकि उसके कारण सृष्टि उथल पुथल हो रही है। देवी उमा शिर्शासुर के सर को कबंध के शरीर से जोड़ देती हैं और मार देती हैं। Ramanand Sagar presents - 'JAI GANGA MAIYA' based on the most revered and the only living goddess - GANGA. Residing in the Kamandal of LORD BRAHMA, BHAGWATI GANGA, like SARASWATI and LAXMI, is one of the seven SHAKTIS of supreme GODDESS MAHAMAYA ADISHAKTI. The story goes far back when Kapil Muni curses King Sagar's sixty thousand and one sons and reduces them to ashes. On repeated requests by the sole son of King Sagar, Kapil Muni finally changes his mind and says that King Sagar's sons would attain MUKTI only if their ashes are cleansed by the holy water of GODDESS GANGA. Generation after generation apologize to pacify BRAHMA but without success - and finally after music praying by BHAGIRATH - the seventh generation of King Sagar, GANGA reluctantly consents to descend to earth. To contain its powerful fall, LORD SHIVA steps in the way and lets the river tumble gently through his long hair onto the Himalayas. In association with Divo - our YouTube Partner #JaiGangaMaiya #JaiGangaMaiyaonYouTube #JaiGangaMaiyaKatha

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