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#ब्रूनरकासंज्ञानात्मकविकासकासिद्धांत #Brunerheory #बहुतहीअच्छेसेअनुभवनेसमझाया #वीडियोंपूरादेखे। ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त Bruner Theory छात्रों के अधिगम (Learning) में सहायक तत्वों का समावेश हैं। जिसमें ब्रूनर ने छात्रों को अधिगम कराने संबंधित विचारों को प्रस्तुत किया हैं। ब्रूनर के इन सिद्धान्तों को Theory of Learning के नाम से भी जाना जाता हैं। 1. Enactive – यह एक क्रिया आधारित अधिगम हैं। जिसमें छात्र क्रिया करके वस्तुओं को समझने का प्रयास करता हैं और उस वस्तु से हुई प्रति क्रियाओं को स्मृति एवं विशेषताओं के रूप में उसको अपने मस्तिष्क में स्थापित करने लगता हैं। उदाहरण अगर आप किसी बच्चें को कोई खिलौना देते हैं। तो वो उसके साथ विभिन्न प्रकार की क्रिया करके देखता हैं। जैसे- उसको मुह में डालना या उसको घुमा-घुमा के देखना। इस प्रकार का अधिगम छात्रों के 0 से 3 वर्ष तक अधिक मात्रा में सक्रिय रहता हैं। इसके अंतर्गत छात्र क्रिया-प्रतिक्रिया के आधार पर चीजों को सीखने का प्रयास करता हैं। जिससे उसकी स्मृति का विकास होने लगता हैं। 2. Iconic – इसमें बालक किसी वस्तु के आकार,रंग आदि के आधार पर उसकी विशेषताओं को धारण करने लगता हैं। यह सीखने की प्रक्रिया मुख्यतः 3 से 7 वर्ष तक अधिक सक्रिय रहती हैं। इसमें छात्र क्रिया करने की जगह देख कर सीखने की ओर प्रेरित होता हैं। उदाहरण इस आयु में छात्रों को किसी वस्तु को याद कराने के लिए उस वस्तु का चित्र दिखाना पड़ता हैं। जैसे- पतंग,सेब,जहाज आदि। 3. Symbolic – इसके अंतर्गत छात्र किसी ऑडियो वीडियो या किसी वस्तु को किसी संकेत के रूप में उसकी पहचान करने लगता है। इसमें छात्र भाषा के संकेतों को आधार बनाकर किसी वस्तु को सीखने लगते हैं। उदाहरण बच्चे से अगर कहा जाए शेर तो वह उसका चित्र अपने मस्तिष्क में देख कर उसे अनुभव कर उससे संबंधित विचारों को ग्रहण करने लगते हैं। इसमें छात्रों को व्याख्यान करके आसानी से सिखाया जा सकता हैं।