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अलसकथा class 10 सम्पूर्ण हिंदी अर्थ || alas katha sanskrit class 10|| Sanskrit Chapter 3||

अलसकथा class 10 सम्पूर्ण हिंदी अर्थ || alas katha sanskrit class 10|| Sanskrit Chapter 3|| ********************************************** Whatsapp link:-https://chat.whatsapp.com/G2VdTQIGX9N... ********************************************** |Video editing:- Ashish Yadav| ................................................................................................... अलसकथा यह पाठ विद्यापति द्वारा रचित कथा ग्रंथ के पुरुष परीक्षित नामक कथा का अंश है पुरुष परीक्षा सरल संस्कृत भाषा में कहानी के रूप में विभिन्न मानव गुणों के महत्व का वर्णन करता है और दोषों के निराकरण की शिक्षा देती है। विद्यापति लोकप्रिय मैथिली कवि थे। इससे भी अधिक संस्कृत के ग्रंथों के निर्माता विद्यापति थे। उनकी विशेषता संस्कृत भाषा विषय में भी अधिक है। प्रस्तुत पाठ में आलस्य नामक दोष का निरूपण व्यंगात्मक कथा के रूप में प्रस्तुत है। नीतिकार आलस को शत्रु के रूप में मानते हैं। मिथिलापुर में वीरेश्वर नाम का एक मंत्री था। वह स्वभाव से दानशील और दयावान था।सभी दुर्गतियों और अनाथों को प्रतिदिन इच्छापूर्ण भोजन देते थे। उससे मध्य में आलसियों को भी अन्न और वस्त्र देते थे क्योंकि----- जिसकी स्थिति खराब होती है उसमें आलसी ही होते हैं ऐसा सब का मत है क्योंकि क्षमता रहने के बावजूद भी वे अपने पेट की आग को नहीं बुझा पाते हैं। उसके बाद आलसी पुरुषों के इस्टलाभ को देखकर बहुत मुफ्त खाने वाले ( तओन्द बढ़ाने वाले ) वहां जमा होने लगे क्योंकि--- सुख की स्थिति को देखकर सभी एकजुट हो जाते हैं अपने जातियों के सुख को देखकर कौन ऐसा प्राणी है जो नहीं दौड़ता है। बाद में आलसियों के सुख को देखकर धूर्त भी बनावटी आलस्य दिखाकर भोजन ग्रहण करते थे। उसके बाद आलस्यशाला में बहुत धन के खर्च को देखकर नियोगी पुरुषों ने विचार किया कि क्षमतावान,दयावान,बुद्धिवान भी भोजन ग्रहण करते हैं जबकि स्वामी केवल आलसियों को वस्तु देते हैं। कपट से बिना आलसी वाले भी ग्रहण करते हैं यही हम लोगों का प्रमाद या गलती है। यदि ऐसा होता है तो आलसी पुरुषों की परीक्षा लेनी चाहिए। ऐसा विचार कर आलसियों के घर में योगी पुरुषों ने आग लगा दी और छिपकर देखने लगे । बाद में घर में लगी आग को देखकर सभी धूर्त भाग गए। बाद में जो थोड़े आलसी थे वह भी भाग गए। बाद में चार आलसी आपस में बातें कर रहे थे। एक वस्त्र ढके मुख से बोला - अरे यह कैसा शोरगुल है। दूसरे ने कहा- लगता है इस घर में आग लग गई है।तीसरे ने कहा- कोई धर्मात्मा नहीं है जो इस समय मोटे भींगे कपड़े से हमें ढक दें। चौथे ने कहा- अरे वाचाल कितना बकबक करते हो चुप क्यों नहीं रहते हो। बाद में चारों के आपसी बातचीत को सुनकर उसके ऊपर जलती हुई आग को गिरते हुए देखकर नियोगी पुरुषों ने उनके वध के भय से चारों आलसियों के बाल को पकड़ कर खींच कर घर से बाहर किया। बाद में उसे देखकर नियोगी पुरुषों के द्वारा पढ़ा गया -- स्त्रियों का रक्षक पति होता है बच्चों का रक्षक मां होती है और आलसियों का रक्षक इस संसार में दयावान के अलावा कोई नहीं होता। बाद में चारों आलसियों को मंत्री ने और अधिक धनराशि दान दिया। Your Queries:- sanskrit class 10 alas katha class 10 sanskrit class 10 chapter 3 class 10 sanskrit chapter 3 alas katha sanskrit class 10 class 10 sanskrit chapter 3 bihar board sanskrit class 10 chapter 3 bihar board अलसकथाclass 10 अलसकथा तृतीयः पाठः वर्ग 10 aalas katha sanskrit class 10 sanskrit class 10 bihar board class 10th sanskrit sanskrit class 10 objective question class 10 biology class 10 science class 10 online class class 10th अलसकथा sanskrit class 10 sanskrit class 10 chapter 3 अलसकथा alas katha sanskrit class 10 alas katha class 10 class 10 sanskrit chapter 3 अलसकथा का अर्थ class 10 अलसकथा संपूर्ण हिंदी व्याख्या class 10 math class 10 science अलसकथा तृतीयः पाठः वर्ग 10 बिहार बोर्ड संस्कृत वर्ग 10 पाठ 3 का सम्पूर्ण हिन्दी अर्थ,bihar board class 10 class 10th sanskri class 10 hindi chapter 12 piyusham sanskrit class 10 #अलसकथा का सम्पूर्ण भावार्थ sanskrit class 10 bihar board #alas_katha_sanskrit_class_10 #sanskrit_class_10_aalas_katha_sanskrit #class10_sanskrit_chapter_3 #sanskrit_class_10 chapter_3 #sanskrit_class10_bihar_board #alas_katha_sanskrit #alas_katha_class10 #class_10 sanskrit_alas_katha_objective #alas_katha__class10 _objective_question

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